नही हुएं ,थे वे बड़े किस्मत वाले यारों
समझ चुके है हम हकीकत इस इस जिंदगी की
जी रहे है देख मौत के दरवाजे पे ताले यारों
चले गए है चोर चोरी कर उस पार
आओ मिलकर जोर से शोर मचा लें यारों
जो हुई कभी हलकी सी खता हमसे
उन्होंने कई बार हमारे कत्ल कर डाले यारों
सरकार खिझी है लोगों को ये न समझा पाने पे कि हर
वो शख्स हुआ न-उम्मीद,था उससे जो कुछ उम्मीद पाले यारों
हो जाए होश फाख्ता फसानो के भी
ज़िन्दगी हुई ऐसे हकीकत के हवाले यारों
अरसे से महरूम हैं लोग यहाँ रु-ब-रु होने से रौशनी के
चलो उनके आने से हुए कुछ तो उजाले यारों
बड़े बदरंग दीखते हैं इस दौर के इन्सां
ऊपर से गोरे,अन्दर से काले यारों
अब समझा क्यों न हो सके कम तासीर इस तीरगी के
सबने थाम रखीं हैं बुझी मशालें यारों
उसने उफ़ तक नही कि कभी किसी सितम पर
आओ उसे जी भर कर सता लें यारों
कातिल मौजूद है मौका-ऐ-वारदात पर
लापता सारे के सारे रखवाले यारों
उनकी तो फितरत है बस्तियां जलाना
हमीं कुछ झोपडे बचा लें यारों
हो जाएगा परिचित हमारे 'सभ्य' समाज के कायदों से भी
पहले रखते है उस भूखे के मुंह में कुछ निवाले यारों
ये किन्हें ले शुरू किया आपने ये सफर
सबके पैरों में पड़े है छालें यारों
-अभिनव शंकर 'अनिकुल'
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