ग़ज़लें
टूटते रहे ग़मों के सफिने कुछ इस कदर
कि क़यामत क़यामत नही रही
नज़रें नही चुराते जुर्म-गर अब ज़माने के
लोगों के आंखों में शायद वो हिकारत नही रही
बढ़ते गए बे-इन्साफियों के मामलें
गोया ऊपरवाले कि अदालत नही रही
चौकन्ने है गली के कुत्ते आज भी
चोरों के क़दमों में आहट नही रही
हवा बह रही है बाहर मदहोश सी
खिड़कियाँ खोलने कि आदत नही रही
रखवाले रहते है यहाँ रहम पर खौफ-जदों के
अब मुमकिन इस मुल्क में किसी कि हिफाजत नही रही
हौसलें बढ़ रहे हैं हुक्मरानों के
क्योंकि ग़दर कि हमाकत नही रही
जिंदगी हँसती है हमें देख आज भी
हमारे ही लबों पे मुस्कराहट नही रही
संसद सुनती ही आई है ऊँचा
तेरे तान में वो ताकत नही रही
मत बोल खुदा के बारे में कुछ भी
मजहब में अब इसकी इजाज़त नही रही
अब नही पिघलते दिल नज़रों से
आंखों में वो शरारत नही रही
आज भी बैठी है रूह इंतज़ार में
हाँ,अब वो शिद्दत नही रही
नही लुट पायें वो अब अभी सब-कुछ ,पर सदमा-ऐ-दिल
ये समझ पाने कि हालत नही रही
झुकते तो है सर अब अभी उनके निकलने पर सड़को पे
क्या हुआ जो दिल में इज्ज़त नही रही
कि क़यामत क़यामत नही रही
नज़रें नही चुराते जुर्म-गर अब ज़माने के
लोगों के आंखों में शायद वो हिकारत नही रही
बढ़ते गए बे-इन्साफियों के मामलें
गोया ऊपरवाले कि अदालत नही रही
चौकन्ने है गली के कुत्ते आज भी
चोरों के क़दमों में आहट नही रही
हवा बह रही है बाहर मदहोश सी
खिड़कियाँ खोलने कि आदत नही रही
रखवाले रहते है यहाँ रहम पर खौफ-जदों के
अब मुमकिन इस मुल्क में किसी कि हिफाजत नही रही
हौसलें बढ़ रहे हैं हुक्मरानों के
क्योंकि ग़दर कि हमाकत नही रही
जिंदगी हँसती है हमें देख आज भी
हमारे ही लबों पे मुस्कराहट नही रही
संसद सुनती ही आई है ऊँचा
तेरे तान में वो ताकत नही रही
मत बोल खुदा के बारे में कुछ भी
मजहब में अब इसकी इजाज़त नही रही
अब नही पिघलते दिल नज़रों से
आंखों में वो शरारत नही रही
आज भी बैठी है रूह इंतज़ार में
हाँ,अब वो शिद्दत नही रही
नही लुट पायें वो अब अभी सब-कुछ ,पर सदमा-ऐ-दिल
ये समझ पाने कि हालत नही रही
झुकते तो है सर अब अभी उनके निकलने पर सड़को पे
क्या हुआ जो दिल में इज्ज़त नही रही
-अभिनव शंकर 'अनिकुल'
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