दिल जो महसूस करता हैं वो कागज़ पे लिखता हैं
तेरे रूह में कसम आईने की मुझे मेरा अक्स दीखता हैं।
एक गुलिस्ता हैं तू मेरे जेहन में यादों के रंग लिए
जिसके हर जर्रे को दिल अश्को से सींचता हैं
कोई करिश्मा हैं तू आसमानी,यकीं मान
यूँ ही नहीं तेरी तरफ मन बावरा खींचता हैं
तू दूर हो जायेगी घड़ी-दो-घड़ी में
सच कहता हु दिल सोच ये बड़ा चीखता हैं
खुश हूँ बड़ा आजकल जबकि आँखों में
आंसू रहते हैं,सीने से खून भी रिसता हैं
किसी घटा सी छाई हैं तू चर्ख-ऐ-जिंदगी में
जिसकी आगोश में दिन-रात मेरा वजूद भीगता हैं
-अभिनव शंकर 'अनिकुल'
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